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भारत में बुलेट ट्रेन: सुविधा या दुविधा

Real Facts
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bullet train


बुलेट ट्रेन आज लोगों के लिए एक पहेली बनी हुई है। बहुत सारे लोग इस मुद्दे पर सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे हैं और कुछ बुद्धिजीवी इसका समर्थन तो कुछ बुद्धिजीवी इसका पुरजोर तरीके से विरोध करते हुए नजर आ रहे है।


इस अवांछित परिस्थिति के सामने आ जाने के पश्चात् इस मुद्दे को प्रकाशयुक्त करना काफी जरूरी हो गया है। भिन्न -भिन्न तरह के विचार इस मुद्दे पर आये होंगे या आयेंगे, पर मैं कुछ तथ्य इस मुद्दे पर रखना चाहता हूँ। मैं भारत में बुलेट ट्रेन के कुछ फायदे बताना चाहता हूँ।


1. कई लोगों का यह मानना है कि हवाई जहाज से सफर करने में एक घण्टे का समय लगता है और बुलेट ट्रेन से सफर करने में 2-3 घण्टे का समय लगेगा, तो फिर बुलेट ट्रेन की क्या आवश्यकता है? जबकि भाड़ा भी हवाई जहाज के बराबर या उससे ज्यादा ही होगा।


जबाब यह है कि अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करते हैं, तो उड़ान की जो अवधि है निश्चित ही 1 घन्टा है, परन्तु उड़ान भरने से पहले हर यात्री को बहुत सारे सुरक्षा घेरों और जाँच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें कम से कम 1-2 घण्टे का समय लगता है। अंदर आने और बाहर जाने वाले समय को जोड़कर।


अपितु हवाई जहाज अगर अहमदाबाद से उड़ान भरता है, तो सीधे मुंबई ही ले जाकर छोड़ता है, तो जो यात्री अहमदाबाद और मुंबई के बीच से आते हैं उनका क्या? वो या तो 2-3 घण्टे सफर करके पहले मुंबई या अहमदाबाद पहुँचते हैं, फिर वहाँ से हवाई जहाज लेते हैं। बुलेट ट्रेन के इस रूट में तकरीबन 12 ठहराव वापी, सूरत, वडोदरा, बोईसर इत्यादि जैसे छोटे-बड़े शहर भी होंगे। इन जगहों के निवासी इस परियोजना के मदद से 2-3 घण्टे में मुंबई या अहमदाबाद आ-जा सकते हैं, जिसमें अभी 5-6 घण्टे लग जाते हैं।


2. Feedback Infra Pvt. Ltd. के अध्यक्ष (chairman) विनायक चटर्जी ने अपने एक लेख में लिखा है कि अगर यह प्रोजेक्ट शुरू होता है, तो इससे Localised Manufacture को बढ़ावा मिलेगा और मुझे यह लगता है कि इससे भारत में बंद हो रहे छोटे और मझोले उद्योगों को भी इसका लाभ मिल सकता है। इसके अलावा Make In India के तहत Transfer of Technology (ToT) के वजह से Japan Construction और Service के लिए भारत के ही कल- करखानों का उपयोग कर इस तकनीक को विकसित करेगा, जिससे भारत की हजारों कंपनियां लाभान्वित होंगी।


3. रोजगार (Employment):- इस समय भारत के लिए रोजगार उत्पन्न करना बहुत ही आवश्यक है, यह तो हम सब जानते ही हैं और इस पर चर्चा भी करते हैं। अगर यह परियोजना भारत में विकसित होती है तो इससे कम से कम 4000 प्रत्यक्ष रोजगार, 20000 अप्रत्यक्ष रोजगा पनपेगा और सिर्फ़ 20000 के आस-पास कंस्‍ट्रक्शन वर्क्स की जरूरत होगी। इसके अलावा इस परियोजना के रख-रखाव में भी भारतीय लोगों के लिए काफी रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।


4. बुलेट ट्रेन एक Dream Project है :- कुछ परियोजनाएं ऐसी होती हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से आपकी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ नहीं करतीं, परन्तु उनके कार्यों के द्वारा संपूर्ण देश स्वाभिमान महसूस करता है। ऐसी ही कुछ इसरो (ISRO) की कार्यशैली है। हम और आप जहाँ घर पर, आॅफिस में एवं सोशल मीडिया पर बैठे इसरो को उसके अतुलनीय कार्यों के लिए शाबाशी देते फिरते हैं और गर्व महसूस करते रहते हैं, वह भी कुछ ऐसा ही प्रोजेक्ट है।


कुछ लोग यह विचार भी रखते हैं कि रेल तो चल नहीं पा रही है और बुलेट ट्रेन चलायेंगे। वो लोग इसरो के बारे में ऐसा नहीं बोल पाते। क्योंकि इसरो इस समय व्यवस्थित रूप से कार्य कर रहा है और उसका कार्य सबको दिख रहा है, जबकि वहाँ भी ये कहा जा सकता है कि जिस देश में लोग भूखे मर रहे हैं वहाँ अंतरिक्ष पर जाने की या सेटेलाइट भेजने की क्या जरूरत है? यही बुलेट ट्रेन के साथ भी होगा, जिन लोगों की दूरदृष्टि या दूरदर्शिता थोड़ी कम है वो ही ऐसे सवाल कर रहे हैं।


5. पर्यावरण व पर्यावरण हितैषी (Environment &Eco- Friendly):- प्रदूषण जहाँ भारत में जी का जंजाल बना हुआ है और वहीं भविष्य के दृष्टिकोण से ऊर्जा की भी कमी सता रही है, ऐसी परिस्थिति में बुलेट ट्रेन बिल्कुल सटीक बैठती है। जितना प्रदूषण (कार्बन डाइआक्साइड ) साधारण ट्रेनों, हवाई जहाजों, कारों, बसों से होता है, उसका मात्र आठवां हिस्सा (1/8) ही बुलेट ट्रेन से होता है।


6. स्थान उपयोग (Space Utilisation):- एक छह लेन (Six- Lane) के हाईवे बनाने में जितनी जगह लगती है, उससे काफी कम जगह में दोहरी रेल लाइन (Double Rail Track ) बिछाई जा सकती है और जितने यात्री छह लेन की सड़क पर सफर करेंगे, उससे कहीं ज्यादा यात्री इस दोहरी रेललाइन पर सफर करेंगे ।


7. सुरक्षा (Safety):- भारत में अत्यधिक भीड़ और खराब सामंजस्य की वजह से रेल दुर्घटना और सड़क दुर्घटना बहुत ही अाम बात है। यहाँ हर रोज कोई ना कोई दुर्घटना घटित होती है। जापान की बुलेट ट्रेन सन् 1964 से कार्यरत है और कुल 25000 किलोमीटर का रेल जाल बिछा हुआ है। परन्तु अब तक इसमें एक भी दुर्घटना की खबर नहीं आई है। यह बुलेट ट्रेन भूकंप के समय उसे पता लगाकर और ट्रेन को तुरंत रोकने की सुविधा से निर्मित होगी। तो आप अगर अपनी यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाता चाहते हैं, तो बुलेट ट्रेन आपके लिए सर्वोत्तम सफर का साधन होगा।


8. दूसरे शहरों का विकास और शहरी विस्तार (Development of other Cities and Urban Expansion):- जिन शहरों के आस-पास से बुलेट ट्रेन गुजरेगी और जहाँ भी उसका ठहराव होगा, इन शहरों के विकास में चार चाँद लग जायेंगे। इन छोटे शहरों के लोग भी बढ़-चढ़कर अपने कारोबार को बढ़ा सकेंगे, और कुछ नयी व्यवस्थाएँ भी प्रफुल्लित होंगी ।


9. पर्यटन (Tourism):- पर्यटन के द्वार भी अब इन छोटे-छोटे शहरों के लिए खुल जायेंगे, जो अब तक अनदेखे से रह गये हैं। हालांकि, वहाँ पहले से रेल या सड़क मार्ग की सुविधा होगी किन्तु बुलेट ट्रेन की वजह से अब इसमें अत्यधिक वृद्धि होनी तय है।


10. भीड़ (Rush):- मुंबई बहुत भीड़भाड़ वाला इलाका है। विरार, थाने इत्यादि के लोग वहाँ से निकटतम ठहराव की अोर प्रस्थान कर सकते हैं, जो सिर्फ़ व्यापार के लिए और आवागमन में सुविधा के लिए वहाँ रह रहे हैं।


11. नये रास्ते खुलेंगे (Open New Avenues):- भारत में अगर मेट्रो ट्रेन पर नजर डालें तो यह एक बहुत ही परिपक्‍व रेल सुविधा है। परन्तु यह एक अलग व्यवस्था के अंतर्गत है। अगर हम इसकी तुलना बस या E.M.U. Train से करें, तो यह नाइंसाफी होगी। अपितु इस परियोजना को भी अगर यह सोचकर रोक दिया जाता कि जब E.M.U. Train पहले से है तो मेट्रो की क्या जरूरत है उसको ही उन्नयन (Upgrade) करो, तो आज देश को सबसे सफल साधनों में शुमार इस मेट्रो की कमी महसूस होती। आज भारत में मेट्रो ने अपनी जड़ें कुछ यूँ जमा ली है कि अब हर छोटे -बड़े शहर अपने आप को मेट्रो से जोड़ना चाहते हैं, जैसे बैंगलोर, लखनऊ, नागपुर, पटना इत्यादि। ठीक उसी तरह हर राज्य अपने आप को विकसित करने के लिए इस परियोजना की अोर खिंचा चला अायेगा, केन्द्र और राज्य मिलकर विकास में कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।


12. बुलेट ट्रेन बनाम मेट्रो रेल सेवा, खर्च और कर्ज का ब्यौरा (Bullet Train Vs Metro Rail Costing and Loan Details):- अगर खर्च की तुलना हम करें तो अौसतन प्रति किलोमीटर निर्माण का मूल्य (Average Per Kilometre Cost of Construction) लगभग रुपये 140 करोड़ और विजयवाड़ा मेट्रो का (Average Per kilometre Cost of Construction) लगभग रुपये 288 करोड़ प्रति किलोमीटर है।


Japan International Cooperation Agency (JICA) जिसे पहले (JBIC) के नाम से जाना जाता था, उसने दिल्ली मेट्रो को फेज -1 के लिए 60 प्रतिशत फण्ड दिया था जो छह हिस्सों में था और पहला राउंड 1997 में शुरू हुआ था। लोन का हर साल का ब्याज दर (Interest Rate ) 1.2 % था और पुनर्भुगतान की अवधि (Repayment Period) 30 साल की थी तथा अधिस्थगन अवधि (Moratorium Period) 10 साल थी। जबकि बुलेट ट्रेन परियोजना में पुनर्भुगतान की अवधि (Repayment Period) 50 साल है तथा अधिस्थगन अवधि (Moratorium Period) 15 साल है और ब्याज दर (Interest Rate) 0.1 प्रतिशत है।


अगर आप इसका तुलनात्मक अध्ययन करें, तो आप पिछली सरकार को लचर पायेंगे और इस सरकार को प्रोत्साहित करते नहीं थकेंगे। हाँ परन्तु इन दोनों अवस्थाओं में अगर Yan (Japanese Currency ) के मूल्य में बदलाव होता है, तो कर्ज की राशि में भी बदलाव होगा और लोन की कीमत बढ़ या घट सकती है और यह दोनों ही हालातों में है। बुलेट ट्रेन की निर्माण की कुल राशि 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये है, जिसमें 88 हजार करोड़ रुपये का लोन जापान दे रहा है।


13. गलत अनुभूति (Wrong Perception):- भारत में तमाम लोग कई तरह की गलत अनुभूति बनाए हुए हैं, जैसे रेल व्यवस्था को इसी पैसे को लगाकर पहले सुदृढ़ करो फिर बुलेट ट्रेन चलाना चाहिए। ऐसे लोगों को यह बताना चाहता हूँ कि यह परियोजना भारत के Make In India और जापान के तकनीक अदला-बदली (Technology Exchange) की वजह से हुआ है, जहाँ नई तकनीक जिसमें बुलेट ट्रेन को विकसित करने का प्रावधान है, इस पैसे का इस्तेमाल हम अपनी रेलवे को दुरुस्त करने के लिए नहीं कर सकते हैं। हां, लेकिन सरकार को जरूर कुछ ऐसे प्रावधान लाने होंगे, जिसमें भारतीय रेलवे की तस्वीर बदल जाये और इसके लिए धनराशि का भी प्रबंध करना चाहिए।


14. भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए तकनीकी उन्नयन (Technology Upgradation for Viswa Guru):- जहाँ आज हम अंतरिक्ष में, G.D.P. में, विकास में, खेल में, विज्ञान के क्षेत्र में, कला एवं तकनीक के क्षेत्र में अग्रसर हो रहे हैं और विश्व गुरु बनने की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में हम अगर बुलेट ट्रेन जैसी तकनीकी में पीछे रह जायें, तो यह हमारी दूरदर्शिता के ऊपर बहुत बड़ा लांछन होगा।


बुलेट ट्रेन भारत के लिए दोनों हाथों में लड्डू के समान (Win-Win Condition) है, अपितु हम इसके द्वारा होने वाले कुछ दुष्प्रभावों को भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं। सरकार का यह दायित्व बनता है कि इन दुष्प्रभावों को समाप्त कर या उनके प्रभावों को कम करके इस परियोजना को सुव्यवस्थित तरीके से चलाए। रही बात की बुलेट ट्रेन सुविधा या दुविधा है, तो अब अाप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।

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